ये हींग कैसे प्राप्त होती है, हींग आती कहां से है, और हींग कैसे बनती है, यह बात शायद ज्यादातर लोग नहीं जानते , यहाँ तक कि जो अपने खाने में हींग का बहुत ज्यादा प्रयोग करते हैं वह भी इसके बारे में ज्यादा नहीं जानते होगें। तो चलिए हम आपको बताते हैं कि हींग कैसे बनती है और इसका उत्पादन कहां कहां होता है।
पहले जानते हैं कि हींग बनाने की प्रक्रिया
हम जिस हींग का प्रयोग करते हैं, वह उसका वास्तविक स्वरुप नही है, और ना ही उस रूप में पैदा होती है। बाजार मिलने वाला हींग का पाउडर पूरी तरह से शुद्ध हींग नहीं होता बल्कि हींग के साथ अन्य कई खाद्य पदार्थों को मिलाकर हींग का पाउडर बनाया जाता है।
हींग कैसे बनती है, हींग की खेती या उत्पादन
हींग (Asafoetida) का उत्पादन किसी फैक्ट्री में नहीं होता, बल्कि यह एक प्रकार के पौधे से प्राप्त होता है, और आपको जानकर आश्चर्य होगा कि हींग का पौधा एक बारहमासी शाक है। इस पौधे के अलग अलग वर्गों की भूमिगत व ऊपरी जड़ों से रिसने या निकलने वाले शुष्क वानस्पतिक दूध से प्राप्त होता है, जिसे हींग कहा जाता है।
हींग की खेती से जुड़े बहुत से ऐसे रोचक तथ्य भी हैं, जिन्हें जानकर आपको हैरानी होगी, वैसे तो हींग की खपत सबसे ज्यादा भारत में ही होती है, लेकिन इसकी पैदावार मुख्य रूप से भारत में न के बराबर होती है, भारत में इसका आयात किया जाता है।
जिन देशों में इसकी खेती होती है उनमें से प्रमुख ईरान, इराक, अफगानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और बलूचिस्तान हैं, इन देशों में हींग के बीज पूरी तरह से प्रतिबंधित हैं, वहां की सरकारों द्वारा हींग के बीजों पर सख्त नज़र रखी जाती है, और इसके बीज के निर्यात पर पूरी तरह से प्रतिबंध है, और अगर कोई हींग (Asafoetida) के बीजों को अन्य देशों में भेजता या बेचता है तो उसे दण्ड भी दिया जाता है, कयोंकि ऐसा करना वहां के प्रावधान के खिलाफ है।
हींग के बारे में एक सबसे रोचक तथ्य और भी है जिसमें इसे उन देशों में “शैतान की लीद” भी कहा जाता है, कयोंकि इसकी गंध ही इतनी तेज या तीक्ष्ण है, कि इसे बहुत दूर से भी महसूस किया जा सकता है।
दूसरी एक बात यह भी है कि इसके बारे में कहा जाता है कि लगभग 4 ईसा पूर्व अलेक्सेंडर इसे अपने साथ यूनान से लाया था।
भारत में हींग (Asafoetida) की खेती
दुनियां भर में भारत ही एक मात्र ऐसा देश है जो हींग का सबसे बड़ा उपभोक्ता है, लेकिन हींग की पैदावार भारत में नहीं होने के कारण इसे आयात करना पड़ता है, और इसके आयत में बहुत ज्यादा विदेशी मुद्रा भी खर्च करनी पड़ती है, लेकिन अब भारत में भी इसकी खेती करने के प्रयास शुरू किये गए हैं, जिसमें जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में इसकी खेती के प्रयास किए जा रहे हैं, जिसमें काफी हद तक सफल भी हो रहे हैं।
सामान्यतः हींग को दो तरीकों से उपयोग लायी जाती है
1. भोजन बनाने या खाने में प्रयोग
2. आर्युवेदिक औषधी में
हींग (Asafoetida) का प्रयोग हमारे घरों में भोजन बनाने में जिस तरह से अन्य मसालों का इस्तेमाल किया जाता है उसी तरह से और उन्ही में से एक हींग भी है जो कि भोजन बनाने के अलावा कई अन्य आयुर्वेदिक दवाओं में काम में ली जाती है।
हींग के फायदे और हींग के औषधीय गुण
हींग का प्रयोग मुख्य रूप से भोजन बनाने में मसलों की तरह किया जाता है, लेकिन इसकी सहायता से कई रोगों का इलाज भी किया जाता है।
जो लोग लहसुन का सेवन नहीं करते हैं वह इसका ज्यादा उपयोग करते हैं, कयोंकि हींग को खाना बनाने में लहसुन की जगह भी प्रयोग किया जाता है, आयुर्वेद में इसे एक औषधि भी बताया गया है।
हींग खाने के फायदे
दांत के दर्द में है फायदेमंद - अगर आपके दांतों में दर्द है तो हींग का छोटा सा टुकड़ा उस जगह रखें जहां दर्द हो रहा है, और उसे कुछ देर के लिए दबा दें, इससे आपको दांत दर्द में आराम मिलता है।
पेट से जुड़ी बीमारियों में - हींग (Asafoetida) में एंटी वाइरल, एंटी बैक्टीरियल और दर्द निवारक गुण होने के कारण कई तरह के इलाज में इसका प्रयोग किया जाता है, हींग को दवा के रूप में प्रयोग करने का बहुत ही आसान तरीका यह भी है जिसमें निम्बू और हींग का पानी रोज़ पी सकते हैं।
जिसे बनाने का तरीका है, दो छोटे चम्मच बाजार में मिलने वाला हींग का पाउडर, 1 छोटा चम्मच जीरा और एक चम्मच निम्बू का रस, जीरे और हींग को लगभग एक कप पानी में डाल कर अच्छी तरह से उबालें, जब यह आधा से भी कम हो जाय तब इसे हल्का ठंडा कर लें और इसमें निम्बू का रस मिला कर पियें, प्रतिदिन या फिर हफ्ते में दो दिन इसका सेवन करने से पेट से सम्बंधित बिमारियों को दूर करने के साथ साथ अन्य कई तरह की बीमारियों से भी बचाव करता है।
खांसी बलगम (कफ) के लिये- हींग, सोंठ और मुलहठी (एक-एक ग्राम सभी) को बारीक पीसकर इसमें गुड़ मिलाकर चने के आकार की छोटे-छोटे गोलियां बनाकर रख लें, यह गोली 1 सुबह और एक रोज शाम को पानी के साथ लेने से खांसी और कफ से आराम मिलता है।
हींग (Asafoetida) पेट के लिए कई तरह से फायदेमंद है, जैसे अम्लता, गैस, पेट दर्द आदि में हींग का उपयोग किया जाता है, आयुर्वेदिक दवा में गैस और अम्लपित्त रोगों के लिए हींग का उपयोग किया जाता है।
हींग के नियमित उपयोग या सेवन से श्वास के रोगों में भी आराम मिलता है, इसके अलावा
माहवारी या मासिकधर्म की समस्या में – एक गिलास पानी में एक चुटकी हींग, थोड़ा सा काला नमक,आधा चम्मच मेथी पाउडर मिला कर दिन में दो बार कम से कम एक महिने लगातार पीने से मासिक धर्म के समय पेट दर्द, अनियमितता और अन्य कई तरह की परेशानियों में आराम मिलता है।
कान दर्द में राहत के लिए – एक चम्मच तिल के तेल में थोड़ी सी हींग (Asafoetida) डाल कर उसे गर्म करें और ठंडा होने पर कान में डालें, इससे कान के दर्द में बहुत जल्द आराम मिलता है।
काली खांसी में बच्चों के लिए- बच्चों को अगर लगातार खांसी की शिकायत रहती है तो, सरसों के तेल में चुटकी भर हींग मिलाकर गर्म कर लें, और उसके सीने पर इसका लेप लगाएं इससे बहुत फायदा मिलता है। तिनका भर हींग को दस ग्राम गुड़ में मिलाकर सुबह साम खिलाने से भी खांसी में जल्दी आराम मिलता है।
शुद्ध हींग (Asafoetida) को पानी में घोल कर दाल, सब्जी आदि डाला जाता है, बाज़ार में मिलने वाली हींग जो कि पाउडर के रूप में मिलती है, वो पूरी तरह से शुद्ध हींग नही होती, इसमें दूसरे खाद्य पदार्थ मिलाकर बेचा जाता है, शायद बहुत ही कम ऐसे लोग होंगे जिन्होंने शुद्ध हींग का उपयोग किया हो, शुद्ध हींग कठोर होती है, शुद्ध हींग आपके भोजन के स्वाद को बढ़ाती है।
हींग से नुकसान
हींग का ज्यादा इस्तेमाल करने से भी कई तरह के नुकसान हो सकते हैं, जैसे कि आपके होंट सूजन आना, पेट में गैस की समस्या, त्वचा लाल पड़ना, सिरदर्द और चक्कर आना, इसलिए इसके अत्याधिक इस्तेमाल से बचें।
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