लकवा का आयुर्वेदिक एवं घरेलु उपचार :-
जब हमारे शरीर के किसी अंग की मांसपेशियां पूरी तरह से कार्य नहीं कर पाती हैं, तो
उस अवस्था को ही पैरालिसिस या लकवा मारनाा, पक्षाघात या स्ट्रोक आदि भी कहते
हैं, लकवा को अंग्रेजी में पैरालिसिस भी कहते हैं।
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विषय-सूची (Table of contents)
- लकवा जैसे मर्ज की विस्तृत जानकारी और लकवा का इलाज
- लकवा होने के कारण
- लकवा की पहचान/लक्षण
- लकवा या पैरालिसिस होने पर क्या करें और क्या न करें
- लकवा का इलाज
- लकवा या पैरालिसिस का घरेलू उपचार
- लकवा होने पर इसके मरीज क्या खाएं और क्या न खाएं
लकवा मर्ज की विस्तृत जानकारी और लकवा का इलाज :-
Paralysis (लकवा) मर्ज को ठीक किया जा सकता है बशर्ते मरीज हिम्मत न हारे
तभी उसे ठीक करना संभव है। लकवा या पैरालिसिस एक ऐसा मर्ज है जिसका अटैक कभी भी
किसी भी समय आ सकता है, जब उस अंग की संवेदनशीलता कम या कमजोर होती है उसी समय
मरीज का इलाज करना चाहिए जिससे मर्ज ठीक हो सकता है।
लेकिन यदि सही समय पर लकवा का इलाज न हो तो उस अवस्था में मरीज या पीड़ित
व्यक्ति पूरी जिंदगी एक अपाहिज की तरह जीने को मजबूर हो जाता है, इसलिए समय
रहते ही लकवा मारना या पैरालिसिस या पक्षाघात का उपचार करना अत्यंत आवश्यक होता
है।
Paralysis (लकवा) एक ऐसी बीमारी है जिससे मरीज का कोई एक अंग पूरी तरह से शून्य
अवस्था में पहुंच जाता है। पैरालिसिस या लकवा किसी भी उम्र के मनुष्य को हो
सकती है, लेकिन ज्यादातर 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को पैरालिसिस होने की
संभावना ज्यादा होती है।
लकवा (पेरालाइसिस) एक ऐसी बीमारी है जिससे पीड़ित व्यक्ति जिंदगी भर सारे परिवार
पर एक बोझ की तरह बन जाता है।
Paralysis (लकवा) होने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन इसके 4 प्रमुख कारण
आज हम आपको बता रहे हैं।
Paralysis (लकवा) होने के कारण :-
1.बहुत ज्यादा मानसिक तनाव की वजह से :-
Paralysis के ज्यादातर मामलों में मानसिक तनाव ही होता है, ज्यादा तनाव में
रहने से मस्तिष्क के किसी एक हिस्से में खून जम जाता है, जिसके कारण पैरालिसिस
होने की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है, इसलिए बहुत ज्यादा चिंता या
तनावग्रस्त माहौल में में नहीं रहना चाहिए, पूरी कोशिश करें कि अपने आप को
व्यस्त रखें, और मनोरंजन करते रहें।
2.शरीर के किसी अंग का दब जाना :-
जब किसी अंग पर लगातार दबाव बने रहने से शरीर के उस हिस्से में रक्त का प्रवाह
निरंतर या फिर ठीक से नहीं हो पाता, जिसकी वजह से हमारा दिमाग शरीर के उस
हिस्से पर रक्त के संचालन को रोक देता है, और शरीर के किसी अंग का लगातार या
अधिक समय तक दबाव में रहने से भी लकवा हो सकता है, ऐसा इसलिए होता है कि रक्त
का प्रवाह रुक जाने के बाद उस हिस्से पर रक्त नलिकाओं का तंत्र भी शून्य हो
जाता है और व्यक्ति को उस अंग में अचानक से भारीपन महसूस होने लगता है, जिसका
कारण लकवा ही होता है।
3.मस्तिष्क में रक्त संचार बाधित होने से :-
जब अचानक इंसान के मस्तिष्क के किसी एक हिस्से में रक्त संचार रुक जाता है या
फिर रक्त वाहक नस फट जाती है, और मस्तिष्क की कोशिकाओं के आस पास रक्त जम जाता
है, तब उस अवस्था में व्यक्ति को लकवा या पैरालिसिस होने की संभावना होती
है।
4.बहुत ज्यादा अम्लीय पदार्थों का सेवन करना :-
लकवा बहुत ज्यादा अम्लीय पदार्थ के सेवन से भी हो सकता है, क्योंकि इन पदार्थों
के लगातार सेवन से खून में हानिकारक तत्वों की मात्रा बहुत अधिक हो सकती है,
जिससे गंदगी की वजह से इंसान की धमनियों रुक जाती है और उस अवस्था में खून का
प्रवाह बाधित होता है, जिसकी वजह से व्यक्ति को लकवा या Paralysis होने की
संभावना बढ़ जाती है।
Paralysis (लकवा) की पहचान/लक्षण:-
लकवा होने पर अचानक से शरीर में कई तरह की विकृति आ जाती है, जैसे किसी का मुह
टेढ़ा हो जाना, बोल न पाना, आँख का टेढ़ा हो जाना, हाथ या पैर का टेढ़ा हो जाना
आदि, सामान्यतः शरीर किसी एक तरफ से बिलकुल काम करना बंद कर देता है, यही लकवा
या पेरालाइसिस की निशानी है।
लकवा या पैरालिसिस होने पर क्या करें और क्या न करें:-
क्या करें :-
लकवा होने पर मरीज को शुरुआती तीन से चार घंटे में यदि सही इलाज मिल जाए तो वह
पूरी तरह से ठीक हो सकता है। इसलिए जितना जल्दी हो सके मरीज को किसी अच्छे
हॉस्पिटल ले जाएं।
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| Treatment of Paralysis |
क्या न करें :-
अगर किसी को लकवा (पैरालिसिस) हो गया है तो उसे शुरुआत में जब तक कम से कम आधा
या 50% आराम न हो जाए तब तक किसी भी प्रकार मालिश से परहेज करना चाहिए, या बहुत
ही हल्के हाथों से मालिश करनी चाहिए।
लकवे का इलाज क्या है :-
नियमित व्यायाम करने से पैरालिसिस से बचा जा सकता है, इसके लिए प्राणायाम,
अनुलोम-विलोम, ताड़ासन, गोमुखासन, कपासन आदि नियमित करने से काफी हद तक बचाव
होता ही है, इसके अलावा, जिन लोगों को लोग लकवा हो गया है, उन्हें धीरे-धीरे
अनुलोम विलोम और गर्दन और कंधे के हल्के व्यायाम करने चाहिए, इसके अलावा वे लोग
फिजियोथेरेपी से भी लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
लकवा होने से कई बार ब्रेन अटैक भी हो सकता है, खून के थक्के दिमाग तक ब्लड
पहुंचाने में रुकावट डालते हैं, जिसकी वजह से दिमाग को ऑक्सीजन और पोषण नहीं
मिल पाता, पैरालिसिस के लक्षण दिखने के शुरुआती तीन से चार घंटे में इलाज शुरू
हो जाए तो बड़े नुकसान से बचा जा सकता है, जितनी जल्दी क्लॉट खत्म करने की दवा
दे दी जाएगी, उतना ही बेहतर परिणाम दिखाई देता है।
लकवा या पैरालिसिस का घरेलू उपचार :-
- लकवा होने पर मरीज को तुरंत एक चम्मच शहद में 2 लहसुन मिलाकर खिलाएं, इससे लकवा से छुटकारा मिल सकता है।
- लकवा के मरीज को हल्दी का काढ़ा बना कर पिलाएं, इससे लकवे का दौरा रुक जाता है, और मरीज को जल्दी आराम मिलता है।
- दाहिनी तरफ (Right side) से लकवा (पेरालाइसिस) से पीड़ित व्यक्ति को वैदनाथ फार्मेसी की व्रहतवातचिंतामणि रस की गोली एक सुबह और एक शाम के समय शुद्ध शहद के साथ लेना चाहिए।
- वहीं अगर किसी व्यक्ति के बाएं तरफ (Left side) से लकवा हुआ है तो उसे वैदनाथ फार्मेसी की ही वीर-योगेन्द्र रस की सुबह शाम एक एक गोली शहद के साथ लेनी चाहिए।
- लकवा से ग्रसित व्यक्ति के पेट पर गीली मिट्टी का लेप लगाने से उसे जल्दी आराम मिलता है और लकवा ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है, मिट्टी का लेप लगाने के बाद जब मिट्टी सूख जाती है तब मरीज को गुनगुने पानी से स्नान कराएं।
- कलौंजी के तेल से लकवे वाली जगह पर हल्के हाथों से मालिश करें।
- अगर कोई व्यक्ति लकवा से पीड़ित है और वह बहुत ज्यादा कमजोर है तो उसे ज्यादा गर्म चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। जिन्हें हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है उन्हें भी ज्यादा गर्म चीजों के सेवन से परहेज करना चाहिए।
- लकवा से पीड़ित व्यक्ति को ऐसे उपाय करना चाहिए जिससे उसके शरीर से ज्यादा पसीना आना चाहिए क्योंकि इससे पैरालिसिस की बीमारी में आराम मिलता है।
लकवा होने पर इसके मरीज क्या खाएं और क्या न खाएं :-
क्या खाएं :-
गेहूं, जौ, बाजरा, बेसन की रोटी, मूंग दाल,
फल एवं सब्जियों में हरी सब्जियां पालक, सहजन, पत्ता गोभी, हरी मेथी, ब्रोकोली,
अनार, अंगूर, फालसा, हल्दी, सेब, संतरा, चीकू, पपीता चेरी आदि का सेवन
प्राथमिकता से करें, शहद का प्रयोग भी ज्यादा से ज्यादा अच्छा रहेगा।
क्या न खाएं :-
सिरका, उड़द की दाल, कोई भी अचार, लाल मिर्च, गुड़-शक्कर, दही, छाछ आदि का सेवन
बिल्कुल बंद करे दें, मैदा अरहर की दाल, करेला, मटर, टमाटर, आलू, नींबू, जामुन,
फूलगोभी, केला, भिंडी, ज्यादा तैलीय भोजन, घी आदि का अत्यधिक सेवन नहीं करना
चाहिए, इसके अलावा ज्यादा नमक, राजमा, उड़द, छोले, बैंगन, पनीर, चॉकलेट, कोल्ड
ड्रिंक्स, शराब, मांसाहार आदि खाने से भी परहेज करें।
उपरोक्त सभी जानकारी अनुभवों और परामर्श पर आधारित है, जिससे कई मामलों में
मरीज को पूरी तरह से फायदा हुआ है, लेकिन फिर भी आप किसी भी प्रकार का प्रयोग
करने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं।

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