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मरुआ दोना प्लांट, मरूआ दोना के फायदे और मरुआ के पत्ते के फायदे

मरुआ दोना प्लांट: मरुआ तुलसी की ही एक प्रजाति है। जिसे आम भाषा में 'मरुआ दोना' या 'दऊना' भी कहा जाता है। इसकी पत्तियों का रंग गहरा हरा और छोटे नुकीले आकार की होती हैं। 
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मरुआ का पौधा अगर किसी घर के प्रवेश द्वार पर लगा हो तो इसकी महक इतनी तेज होती है कि, इसकी वजह से सांप, कीड़े मकोड़े और मच्छर आदि घर में प्रवेश नहीं करते। 


मरुआ दोना दो प्रकार का होता है

मरुआ दोना दो प्रकार का होता है, काला मरुआ और पूरी तरह से हरा या सफेद मरुआ, इस पौधे पर डाल की कपोल (फुनगी) पर कार्तिक अगहन माह में ठीक तुलसी की तरह ही फूल (मंजरी) निकलने लगती है, जिसमें बहुत छोटे और सफेद रंग के फूल खिलते हैं। और इसका पेड़ 2.5 (ढाई) फीट तक ऊंचा हो सकता है। 

मरुआ दोना का उपयोग

मरुआ के फूल देवी देवताओं पर भी चढ़ाए जाते हैं, काले मरुआ का प्रयोग औषधि रूप में नहीं होता है, जबकि इसके फूल देवी, देवताओं पर चढ़ाने के काम आता है, और सफेद मरुआ औषधियों के रूप में काम में लिया जाता है।

सफेद मरुआ में कई औषधीय गुण होने के कारण इसका उपयोग कई तरह की दवाइयां बनाने और कई तरह के स्वास्थ्य लाभ के लिए उपयोग किया जाता है।

मरूआ के फायदे और नुकसान 

मरुआ दोना की वजह से घर में नहीं घुसते कीटाणु, एक अध्ययन में पाया गया है कि मरुआ, कफ और वात का नाशक, पित्तवर्धक, विष, और कुष्ठ रोग का नाशक होता है। मरुआ का पौधा जहां भी लगा होता है, वहां आस-पास के लोगों को मलेरिया और डेंगू होने का खतरा बहुत ही कम या बिल्कुल नही रहता।


मरुआ दोना कितने नाम से जाना जाता है

मरुआ दोना को मरुत्तक, मरुवक, प्रस्थ पुष्प, फणिज्जक, गधं पत्र, समीरण, खट पत्र, दऊना और कुल सौरभ आदि अनेक नामों से भी जाना जाता है। 

मरुआ दोना की खुशबू से आपका घर भी महक जाता है, इसलिए अगर आप इस औषधीय गुणों से परिपूर्ण पौधे को अपने घर के प्रवेश द्वार पर या फिर किसी ऐसे स्थान पर रखें जहां से घर में हवा का प्रवेश होता है, तो आप कई तरह के विषैले कीटाणु के प्रकोप से बच सकते हैं। 

मरुआ दोना के औषधीय गुण
मरुआ दोना पेट दर्द, मोच, सूजन, टी. बी. का रोग, मासिक धर्म, दस्त और पेचिश, सिर दर्द, कान दर्द, गठिया (आमवात) आदि के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। 

गठिया या आमवात में मरुआ के फायदे
मरुआ दोना की जड़, तना, फल, फूल और पत्तियां सभी बहुत उपयोगी हैं, इन सभी का काढ़ा बनाकर दिन में 3 बार पीने या स्नान करने से गठिया जैसे रोग में लाभ मिलता है। या फिर इस जलाकर इसका धुंआ सूंघने/ग्रहण करने से भी यह गठिया रोग में लाभ प्रदान करता है। 

पेचिश में मरुआ                        
मरुआ की पत्तियों का रस निकालकर उसे पेट पर मसलने के बाद हलकी गर्म सिकाई करने से पेचिश में बहुत फायदा मिलता है। खुनी दस्त/पेचिश में मरुआ की पत्तियों का काढ़ा बना कर दिन में तीन बार पीने से भी बहुत फायदा होता है। 

कान दर्द में
कान में दर्द होने पर मरुआ की पत्तियों का रस निकालकर कान में डालने से कान दर में बहुत जल्दी आराम मिलता है
 

मरुआ का उपयोग चोट या सूजन में                 
मरुआ दोना की पत्तियों या टहनियों को पानी उबाल कर सूजन वाली जगह पर गर्म पानी से सिकाई करने से सूजन कम हो जाती है, और दर्द में भी आराम मिलता है। या फिर मरुआ के तेल से मालिश करने से भी जल्दी आराम मिलेगा। 

टी. बी. रोग में मरुआ
मरुआ दोना के पौधे की जड़ का रस निकालकर दिन में दो बार 5 ग्राम की मात्रा में पीना भी बहुत फायदेमंद होता है। और इस रोग से जल्द राहत मिलती है। 

सिर दर्द में मरुआ
सिर में दर्द होने पर मरुआ की पत्तियों का रस निकालकर नाक में और माथे पर लगाने से आराम मिलता है। 

मरुआ मासिक धर्म, पेट दर्द और कब्ज में
मरुआ का काढ़ा बनाकर पीने से बहुत ही जल्दी कब्ज में लाभ होता है और मासिक धर्म में होने वाले विकारों में भी लाभ मिलता है। पेट दर्द होने पर मरुआ की पत्तियों को सुखाकर चूर्ण बनाकर, इस चूर्ण का दिन में दो बार पानी के साथ सेवन करने से दर्द में राहत मिलती है। 

मरुआ दोना के नुकसान
मरुआ दोना नुकसानदायक भी साबित हो सकता है, इसका किसी भी रुप में अत्यधिक सेवन पेट को नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए जरुरत होने पर और कम मात्रा में ही इसका उपयोग करना चाहिए। 

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