प्राकृतिक ऑक्सिजन और मेडिकल ऑक्सिजन में क्या फर्क/अंतर है: आपके मन में भी यह सवाल कई बार आए हैं तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि क्या फर्क है प्राकृतिक और मेडिकल ऑक्सीजन में
What is difference between natural oxygen and medical oxygen ?
प्राकृतिक ऑक्सिजन और मेडिकल ऑक्सीजन में क्या फर्क है, और ऑक्सीजन की कमी क्यों हो रही है?
मौत का ये सिलसिला कितनी बेगुनाह जानें ले रहा था, जिसकी वजह थी ऑक्सीजन की कमी, और कोरोना से भी ज्यादा गंभीर संकट (Oxygen) ऑक्सीजन की अनुपलब्धता बन गया था।
ये विचार बहुत से लोगों के मन में आता होगा कि जब वातावरण में ऑक्सीजन मौजूद है तो मरीज या बीमार व्यक्ति को अलग से ऑक्सीजन की जरूरत क्यों पड़ती है ?
दूसरा यह सवाल भी मन में उठता होगा कि सिलेंडर (बॉटल) की ऑक्सीजन और वातावरण को पेड़ों से मिलने वाली ऑक्सीजन में क्या फर्क है ?
और तीसरा यह की अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी क्यों हो गई थी ? और भी कई तरह के सवाल मन में आते होंगे।
Oxygen: प्राकृतिक और मेडिकल ऑक्सीजन में फर्क जानते है चलिए जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब
ग्रामीण क्षेत्रों में शुद्ध वातावरण, बहुत कम प्रदूषण, और पेड़ पौधे ज्यादा होने के कारण हवा में ऑक्सीजन का प्रतिशत बहुत ज्यादा होता है, इसलिए यहां के लोगों का श्वसन तंत्र शहरी लोगों के मुकाबले ज्यादा मजबूत होता है।
शहरों में प्रदूषण अत्यधिक होता है, क्योंकि शहरों में वाहनों और उद्योगों से निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड और पेड़ पौधे की संख्या का कम होना, अत्यधिक जनसंख्या होना है।
शहरों में शुद्ध हवा कम होने के कारण लोगों को सांस लेने में बहुत दिक्कत होती है और सबसे बड़ी बात यह है कि इस वातावरण में Oxygen (ऑक्सीजन) की मौजूदगी का प्रतिशत बहुत कम होता है, जिसकी वजह से हमारे शरीर की श्वसन क्रिया, या फेफड़े (Lungs) हवा को फिल्टर करने के बाद शरीर को ऑक्सीजन उपलब्ध कराने में मदद करते हैं।
लेकिन इस प्रक्रिया में हमारे लंग्स की कार्य क्षमता बहुत कम समय में ही खराब होने लगती है। इसका एक बड़ा कारण अत्यधिक धूम्रपान भी होता है।
नतीजा : जब हम बीमार होते हैं तब हमारा लंग्स फंक्शन इतनी मेहनत नहीं कर पाता कि वह वातावरण की हवा को फिल्टर कर सके, और इसी वजह से हमें शुद्ध ऑक्सीजन (Oxygen) की आवश्यकता होती है, जो कि अस्पतालों में सिलेंडरों द्वारा दीया जाता है।
Medical Oxygen (मेडिकल ऑक्सीजन) 95 से 98 प्रतिशत तक शुद्ध होती है, इसमें धूल मिट्टी, और दूसरी गैस बिल्कुल नहीं होती, शरीर को इसे फिल्टर करने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती, इसलिए इसमें मरीज का सांस लेना आसान हो जाता है, और बीमार शरीर इसे आसानी से ग्रहण कर लेता है।
Oxygen: कैसे बनती है मेडिकल ऑक्सीजन
इसके बाद ऑक्सीजन (Oxygen) को गर्म किया जाता है जिससे कि वह तरल रूप में परिवर्तित हो जाती है, अंत में इसे बड़े बड़े सिलेंडरों में बहुत ही कम तापमान पर इकट्ठा किया जाता है, इसके बाद इसे छोटे छोटे सिलेंडरों में भर कर अस्पतालों में भेज दिया जाता है, इसी तरह इसका इस्तेमाल पेट्रोलियम और स्टील के उद्योगों में भी किया जाता है, लेकिन उस समय बहुत से उद्योगों को बंद कर दिया गया था।
इसके अलावा भी कई अस्पतालों में (Oxygen) ऑक्सीजन के छोटे छोटे प्लांट होते हैं लेकिन उनकी उत्पादन क्षमता बहुत ही कम होती है, और इन्हें बाहर से भी ऑक्सीजन मंगवाना पड़ती है।
Oxygen: देश में ऑक्सीजन की कमी क्यों हुई
हालांकि हमारे देश के उद्योगों ने उत्पादन तो बढ़ाया था, लेकिन इस प्रक्रिया में एक निश्चित समय लगता है, और मरीजों को ऑक्सीजन की तत्काल आवश्यकता थी, वो बेचारे इंतजार नही कर सकते थे, और यही कारण था कि मरीज ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे थे, और मौतों का सिलसिला जारी था।
इन सभी बातों से आप समझ गए होंगे कि प्राकृतिक और मेडिकल ऑक्सीजन का कितना महत्व है, लेकिन इन सभी वक्तव्यों में एक बात साफ है कि, हम डेवलपमेंट (विकास) के चक्कर में प्रकृति से कितना खिलवाड़ कर रहे हैं, जंगलों की लगातार कटाई किस तरह हमारे विनाश का कारण बन सकती है, अगर अभी भी जंगलों की कटाई का ये सिलसिला नहीं रुका तो क्या हो सकता है, इसके लिए जिम्मेदार कौन है ? यह एक बहुत ही गंभीर विषय है।
उपरोक्त सभी जानकारी अध्ययनों से निकली गई है, आपको कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएं और आगे भी इसी तरह की जानकारियों के लिए नोटिफिकेशन को एलाऊ जरूर करें
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